Friday, 25 January 2013
Tuesday, 22 January 2013
भारतीय नव जवानों देश की पूरी न्याय प्रक्रिया को बदलो क्यों की अपराधी का अपराध न्यायालयों की फाइलों में पड़ा रहता है और अपराधी अपराध करने के लिए जमानत पर छुट कर खुलेयाम घुमाता रहता है और जब अपराध की सजा होती है तब तक बह कई और नए अपराध करडालता है ब्रद्धा अबस्था में चाहे जेल में रहो चाहे अस्पाताल में और चाहे अपने घर में क्यू की तब तक शिथिल हो कर बह स्वयं मौत चाहने लगता है !
Sunday, 20 January 2013
भारतीय संसद एवं राज्य बिधान सभाओ तथा भारयीय नव जवानों से सीधा सवाल
15 अगस्त 1947 के पूर्व के बने सभी बिधि नियम एवं कानूनों की समीक्छा आज तक क्यू नहीं ...?
क्या जो कानून 1947 के पूर्व गलत थे आज़ादी के बाद सही कैसे हो गए ...?
भारतीय संबिधान की मनसा के बिपरीत जाती ,धर्म ,लिंग,संप्रदाय,के आधार पर रिजर्वेशन क्यू ......?
1870 कोर्ट फीस एक्ट के आधार पर सम्पूर्ण भारत में न्याय का व्यापार क्यू ....?
भारतीय सर्वोच्य न्ययालय को प्रसासनिक आधिकार और उच्य न्ययालयो को न्ययायिक अधिकार क्यू नहीं ...?
15 अगस्त 1947 के पूर्व के बने सभी बिधि नियम एवं कानूनों की समीक्छा आज तक क्यू नहीं ...?
क्या जो कानून 1947 के पूर्व गलत थे आज़ादी के बाद सही कैसे हो गए ...?
भारतीय संबिधान की मनसा के बिपरीत जाती ,धर्म ,लिंग,संप्रदाय,के आधार पर रिजर्वेशन क्यू ......?
1870 कोर्ट फीस एक्ट के आधार पर सम्पूर्ण भारत में न्याय का व्यापार क्यू ....?
भारतीय सर्वोच्य न्ययालय को प्रसासनिक आधिकार और उच्य न्ययालयो को न्ययायिक अधिकार क्यू नहीं ...?
Saturday, 12 January 2013
माननीय सर्वोच्य न्यायलय से मेरा नम्र निवेदन है की भारतीय संबिधान के अनुच्छेद 141,144,145,की शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय न्यायालयों की निर्णय करने की प्रक्रिया में यदि सुधार करदिया जाये तो सारी समस्योंओ का हल निकल सकता है क्यू की भारत में अपराध करने की सजा अजन्म काराबास या 14 बर्ष है और न्याय मागने की सजा 1 बर्ष से 45 बर्ष या उससे भी अधिक है ,मैंने माननीय सर्वोच्य न्यालय को 12,12,11 को ज्ञापन सौपा था उसकी कापिया देखने के लिए मेरी फेसबुक का अबलोकन करे और सहयोग प्रदान करे !
Thursday, 10 January 2013
भारतियों तुम्हारी आत्मा कब जागेगी बम्बई में हमला संसद में हमला सिर काट कर लेजाने बलोको अमेरिका की तरह अफगानिस्तान ईराक एवं पाकिस्तान के आतंक बादियो को जवाब देना कब तक सीखोगे !
भारत में भारत के नागरिको की बजाय सामान्य पिछड़े हरिजन आदिबासी तथा अल्पसंख्यक रहते है इसी लिए इस देश में बार बार बिदेशी हमले होते है !
भारत में भारत के नागरिको की बजाय सामान्य पिछड़े हरिजन आदिबासी तथा अल्पसंख्यक रहते है इसी लिए इस देश में बार बार बिदेशी हमले होते है !
Wednesday, 9 January 2013
Tuesday, 8 January 2013
अंग्रेजो द्वारा बनाई गई पूरी व्यबस्था को बदलने के लिए भारतीय नव जवान जागो
सम्पूर्ण भारत में 40 करोड़ से अधिक नागरिक नयायलयो द्वारा गलत एवं देरीसे दिए गए निर्णय का शिकार है ! माननीय सर्वोच्य न्यायालय को भारतीय संबिधान के अनुच्छेद 141,144,145,के तहत देश के न्यायालयो द्वारा निर्णय करने की प्रक्रिया में सुधार करने का आधिकार प्राप्त है !अस्तु सम्पूर्ण भारत के नागरिको से अनुरोध है की न्यायाधिसो एवं वकीलों की जबाबदेही तै करने ,न्यायालयो के निर्णय करने की समय सीमा निर्धारित करने,दूसरो को तंग करने के लिए आदालतो में धोखा धडी करने बालो के खिलाफ कठोर दंड निर्धारित करने के लिए पोस्ट कार्ड में माननीय सर्वोच्य न्यायालय को एक एक निवेदन पत्र भेजे ......क्रमश .....हिन्द क्रांति पार्टी
Sunday, 6 January 2013
भारत के नव जवान जागो
भारत की सम्पूर्ण न्याय प्रक्रिया को बदल कर निर्णय के बजाय न्याय के सिधान्त पर संचालित करने के लिए भारत के नव जवान जागो ! भारत में 40 करोड़ से अधिक लोग भारत कीन्याय पालिका की अराजकता के सिकार है! भारतमे अन्याय सहना न्याय मागने से सस्ता है भारत में अन्याय या अपराध करने की सजा अजन्म काराबास या 14बरस है परन्तु न्याय मागने की सजा 1 बरस से 50 बरस या उससे भी अधिक हो सकती है ! क्यो की भारत के न्यायालय भारत सरकार के ब्यापारिक केंद्र है जिनका प्रमुख कार्य सरकार के लिए धन कमाना है !1870 कोर्ट फीस एक्ट में न्यालय से सहायता प्राप्त करने के लिए कीमतों का निर्धारण किया गया है जिसको समय समय पर बढाया जाता है
माननीय सर्वोच्य न्यायालय न्याय करने की प्रक्रिया को बदलने के लिए भारतीय संबिधान के अनुछेद 141,144.145,में शक्तिया दी गई है जरुरत है भारत के नव जवानों के जगाने की ......क्रमासः .........
भारत की सम्पूर्ण न्याय प्रक्रिया को बदल कर निर्णय के बजाय न्याय के सिधान्त पर संचालित करने के लिए भारत के नव जवान जागो ! भारत में 40 करोड़ से अधिक लोग भारत कीन्याय पालिका की अराजकता के सिकार है! भारतमे अन्याय सहना न्याय मागने से सस्ता है भारत में अन्याय या अपराध करने की सजा अजन्म काराबास या 14बरस है परन्तु न्याय मागने की सजा 1 बरस से 50 बरस या उससे भी अधिक हो सकती है ! क्यो की भारत के न्यायालय भारत सरकार के ब्यापारिक केंद्र है जिनका प्रमुख कार्य सरकार के लिए धन कमाना है !1870 कोर्ट फीस एक्ट में न्यालय से सहायता प्राप्त करने के लिए कीमतों का निर्धारण किया गया है जिसको समय समय पर बढाया जाता है
माननीय सर्वोच्य न्यायालय न्याय करने की प्रक्रिया को बदलने के लिए भारतीय संबिधान के अनुछेद 141,144.145,में शक्तिया दी गई है जरुरत है भारत के नव जवानों के जगाने की ......क्रमासः .........
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