भारत के नव जवानों सदियों से गुलामी झेलने के बाद भी दया,कृपा,मर्जी,की भाषा बोलना कब बंद करोगे और मालिको की भाति जीना कब सुरु करोगे ,तुम्हारे लिए भारत के क्रांति करियो ने अपना बलिदान दिया और आप अपनेलिए सही लोक सेवक एवं शासकीय सेवक नहीं चुन पारहे हो और सेवको के स्वागत में ही अपना समय नस्ट कर रहे हो सोचो पिछले 65 साल की व्यबस्था अगले 65 साल के लिए क्या तुम्हे मंजूर है ?
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