Wednesday, 10 September 2014

भारतीय प्रजातंत्र पर खतरे … सतर्क रहे 
बिदेशी राष्ट्र भारत की सीमाओ एवं देश के भीतर अशांत कराकर अपना सर प्लश माल भारत जैसे देशो को बेचना चाहते है !भारतीय नेता एवं सरकार देश की आँतरिक व्यबस्था में सुधार करने की बजाय अपने 5 वर्ष के कार्य काल को पूरा करने के लिए विदेशी रास्ट्रो से कर्ज या बना बनाया माल ले कर देश की वर्तमान आवश्कता को पूरा करना चाहते  है ! मनमोहन सिंह की पूर्व सरकार इशका उदाहरण है !रुपये की कीमत इशका प्रमाण है !
बिदेशी कर्ज या सहायता पैसे देने बाले की शर्तो पर मिलता है ! उनकी शर्त पूरी ना होने पर वह भारत से एक मुश्त कर्ज़ा की बापसी करने को कहसकता है सरकार के पास सोना नहीं है ,संपत्ति नहीं है,देश के नागरिक क़र्ज़ दार एवं बे रोजगार है ,देश में जाती ,धर्म,सम्प्रदायों के बीच बिबाद होने से अराजकता ,आतंक बाद,तथा भ्रस्टाचार का माहोल है ! इशमे शाशन का नियंत्रयं नहीं है यदि बिदेसियो ने समय पूर्व कर्ज़ा माग और हम दे ना पाये तो हमारे देश का पूरा प्रशासन बिदेशी कर्ज़ा अदा होने तक अपने कब्ज़े में ले सकते है !हजारो वर्षो से गुलामी झॆल रहा भारत अपने आज़ादी के लिए भारतीय नवजवानों द्वारा दी गई कुर्वानी फिर निरर्थक साबित हो सकती है! भारतीय नवजवानों साबधान जय हिन्द जय भारत !

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