Monday, 3 November 2014

देश में न्यायपालिका नाम की कोई संस्था नहीं है भारत  के संविधान में किसी भी न्यायाधीश को न्याय करने की सपथ दिलाने का कोई प्राबधान नहीं है ! न्याय की कभी अपील नहीं होती जिसकी अपील हो बाह अन्याय है अन्याय करने बाला न्यायाधीश कैसा !
पूरा देश ब्रिटिश सरकार के बिछाये चकर्व्युह में फसा है क्या आप भी वर्त्तमान न्यायव्यबस्था से पीड़ित है!
क्या आप उस व्यबस्था से मुक्ति  चाहते है तो आप को महाभारत के पंडाबो की तरह अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी! पीड़ित व्यकितियो के पास दो रस्ते है संघर्ष या सरेंडर!रास्ता पीड़ित व्यक्ति को चुनना है !देश की अदालतों में चार करोड़ से ऊपर मुक़दमे लंबित है उससे चालिश करोड़ से ऊपर लोग पीड़ित है उसमे कही आप भी तो नहीं है!
लोग सपने दिखाकर सत्ता प्राप्त करते है सपथ लेकर कुर्सिया प्राप्त करते है निर्भय होकर बैमानि करते है भारत बासियो अन्याय से लड़ने के लिए कलयुग के अंत में जन्म लेने बाले कल्कि भगवन का इंतज़ार करो या अन्याय से  मुक्ति पाने के लिए नेता जी सुभाष चन्द्र बॉस एवं अन्य क्रांतिकारियों की तरह संघर्ष सुरु करो !
देश में निर्णय के बजाय न्याय के सिद्धांत पर न्यायपालिका के गठन के लिए सतना से संसद एवं सर्वोच्य न्यायालय तक की यात्रा में सहयोग के लिए निवेदन !
निर्णय आप को करना है आखिर दर्द आप का है इस लिए दया कृपा मर्जी प्रलाप की भासा का त्याग कर संघर्स करो सफलताएं आप का इंतज़ार कर रही है!
कमलेश त्रिपाठी
राष्ट्रीय प्रेसिडेंट
हिन्द क्रांति पार्टी भारत
09425173019

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