Saturday, 27 December 2014


हिन्द क्रान्ति यात्रा भाग -2- 2015 
जनबरी 2015 से देश के आज़ादी के लिए अपने प्राणो का बलिदान करने बाले तथा नेता जी सुभाष चन्द्र बॉस  की लड़ाई का दूसरा हिस्सा जिसमे भारत को सशक्त,शक्तिशाली,सम्पन्न राष्ट्र बनाना था को उसको पूरा करने के लिए नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के अनुआयिओ को निमंत्रण !
भारत आज़ादी के पूर्व बिधाईका ,कार्यपालिका तथा न्यायपालिका एवं धर्म तथा बिदेसी आतंक बाद से पीड़ित था यह समस्या आजभी मौजूद है  नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के नेतत्व में आज़ाद हिन्द सरकार की आज़ाद हिन्द सेना के आक्रमण से अँग्रेज भयभीत हुए एवं अंग्रेजो के नेतत्व में भारतीय नागरिको की बेतन भोगी भारतीय सेना में बगावत हुई और अंग्रेजो को कहना पड़ा की भारतीय सेना अब हमारे प्रति बफादार नहीं रही और नई सेना हम लाकर रख नहीं सकते अतः भारत को आज़ाद कर रहे है !
सत्ता के लिए भारत के लोगोने नेता जी सुभाष चन्द्र बोसको युद्ध अपराधी मानते हुए जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजो को सौपने की शर्त पर आज़ादी हासिल की और आज भी भारत की जनता का दमन कर रहे है और विदेशी सहायता पर निर्भर बना रहे है !
 नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का आज़ादी के बाद का काम था भारत के सभी विधि नियम एवं कानूनो की समिक्छा कर भारत की जनता के अनुसार नए कानूनो की रचना कर भारत की जनता के विकाश एवं उन्नति की बाधाओ को दूर कर भारत को सशक्त,शक्तिशाली,सम्पन्न राष्ट्र बनाना !
आज़ादी की लड़ाई के बचे हुए लोगोने जिस संबिधान की रचना की उसकी मूल भाबना के बिपरीत जनप्रतिनिधियो ने अपने तत्कालीन लाभ के संबिधान में संसोधन किये !
 बिधाईका ,कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के सर्वोच्य पदो में बैठने बालो को पहले सपथ लेने की संबिधान में व्यबस्था की गई है परन्तु सपथ लेकर शासकीय सुबिधाओं का उपभोग तो बाह करते रहे परन्तु आज तक वह सपथ पूरी नहीं की !
इसी लिए आज़ादी के पूर्व जो देश में बिधाईका ,कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की अराजकता थी बाह आज भी चल रही है आज देश बासिओ को यह तै करना है की पिछले 66 वर्षो की व्यबस्था से क्या वो संतुस्ट है क्या अंगले 100 वर्षो के लिए वो नई  व्यबस्था चाहते है ?

Thursday, 18 December 2014

                    अब नही सहेगे सर्वोच्य न्यायलय का अपमान
देश के 40 करोड़ लोग तारीख पर तारीख ,अपील पर अपील तथा भारत सरकार द्वारा पीड़ित व्यक्तियों को न्यायालयों में प्रवेश करने से  रोकने के लिए न्याय शुल्क लगाकर न्याय का व्यापार किया जा रहा है ,
नागरिको की तबाह होती जिंदगी यदपि भारतीय संसद एवं राज्य विधान सभाओ द्वारा बचाई जा सकती है लेकिन इनकी विस्वसनीयता देश के नागरिको के प्रति  नहीं है!
भारतीय सर्वोचय न्यायलय के पास भी नागरिको की तबाह होती जिंदगी को बचाने का पावर है क्यों की भारतीय संबिधान के अनुछेद 129 ,141 ,144 ,145  के तहत देश की अदालते सर्वोच्य न्यायलय के अधीन एवं सहयोगी के रूप में काम करती है! उनके आदेश एवं निर्देश मानने के लिए बाध्य है !
परन्तु यदि अधीनस्थ न्यायलय उनके आदेश को न माने तो सर्वोच्य न्यायलय उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्यों की उनके पास प्रशासनिक एवं दंड देने का पावर नहीं है !
मुझे देश के 40 करोड़ लोगो को तबाही से बचाने का रास्ता मालूम है परन्तु मेरे पास पर्याप्त साधनो का अभाब है !
समस्या यह भी है की यदि देश की अदालतों से अक्छ्म अयोग्य न्यायाधीशों एवं कर्मचारियों को हटाया जाये तो योग्य न्यायाधीश लाए कहा से जाये !
जो लोग अपने प्रकरणो का निराकरण समय सीमा में चाहते है तथा न्याय व्यबस्था में बदलाब चाहते है उन्हें संगठित होकर तन,मन,धन,के साथ प्रयाश एवं संघर्ष करना होगा !
मुझसे मेरे मो. 09425173019  तथा email  ; hindkrantiparty @gmail.com या whatsapp में संपर्क करे। कमलेश त्रिपाठी अध्य्क्ष हिंद् क्रान्ति पार्टी
 
माननीय शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन पाकिस्तान में हो रहे आतंकबाद के खिलाफ प्रलाप करने के पहले आप के प्रदेश में जो आतंकबाद चलरहा है उसे तो समाप्त करने की हिम्मत तो दिखाए।संलग्न पत्रो को पढ़े .............

Tuesday, 2 December 2014

भारत में निर्णय के बजाय न्याय के सिद्धांत पर न्यायपालिका के संचालन के लिए न्यायपालिका की तलाश जरुरी हैं हम किसे न्यायपालिका माने .?
१- क्या सर्वोच्य न्यायालय ऑफ इंडिया न्यायपालिका है  .?
२-क्या राज्यों के उच्य न्यायालय न्यायपालिका है। ?
३- क्या जिला एवं सत्र न्यायालय  न्यायपालिका है। ?
४- क्या व्यबहार एवं दाण्डिक न्यायालय न्यायपालिका है। ?
५- क्या भारतीय संबिधान में किसी न्यायाधीश या न्यायमूर्ति  को न्याय करने की सपथ दिलाने का प्राबधान है। ?
६- भारतीय सर्वोच्य न्यायालय से सीधा सवाल , सर्वोच्य न्यायालय का मत है की बिधि की अज्ञानता छम्य नहीं है ! तो क्या न्यायाधीशों ,वकीलों ,न्याय प्रक्रिया में लगे अन्य न्यायाधीशों ,जाँच एजेंसियों में कार्यरत लोगो को इस विचार धरा से मुक्त रक्खा गया है। ?
७- भारतीय संसद से सीधा सवाल भारत सरकार द्वारा 1870 कोर्ट फीस एक्ट के तहत न्याय का व्यापार चलाया जा रहा है!इसी लिए देश की अदालते भारत सरकार की क्या व्यापारिक केन्द्र नहीं है। ? क्या इनका कार्य सरकार के लिए धन कमाना मात्र नहीं है। ?
८- न्याय की कभी अपील नहीं होती जिसकी अपील हो बह अन्याय है ! अन्याय करने बाला न्यायाधीश कैसे। ? तारीख पर तारीख , अपील पर अपील क्या लोगो के लिए अन्याय सहना न्याय मागने से सस्ता नहीं है। ?

                            भारतीय नवजवानों पीड़ित व्यक्तियों हिम्मत दिखाओ और देश की अदालतों में लंबित 4 करोड़ से ऊपर मुकदमे तथा 40 करोड़ जीवन से निराश लोगो को एक बर्ष में जीवन दान के लिए तन,मन,धन,तथा ज्ञान का दान कर व्यबस्था परिवर्तन में सहयोगी बने ! पीड़ित व्यकतियो से निवेदन है की आप के पास दो रस्ते है संघर्ष या सरेंडर रास्ता आप को चुनना है संघर्ष के मार्ग में हम आप के सहयोगी है !कमलेश त्रिपाठी प्रेसिडेंट हिन्द क्रांति पार्टी ,संपर्क करे 09425173019 ,hindkrantiparty @gmail.com