Thursday, 18 December 2014

                    अब नही सहेगे सर्वोच्य न्यायलय का अपमान
देश के 40 करोड़ लोग तारीख पर तारीख ,अपील पर अपील तथा भारत सरकार द्वारा पीड़ित व्यक्तियों को न्यायालयों में प्रवेश करने से  रोकने के लिए न्याय शुल्क लगाकर न्याय का व्यापार किया जा रहा है ,
नागरिको की तबाह होती जिंदगी यदपि भारतीय संसद एवं राज्य विधान सभाओ द्वारा बचाई जा सकती है लेकिन इनकी विस्वसनीयता देश के नागरिको के प्रति  नहीं है!
भारतीय सर्वोचय न्यायलय के पास भी नागरिको की तबाह होती जिंदगी को बचाने का पावर है क्यों की भारतीय संबिधान के अनुछेद 129 ,141 ,144 ,145  के तहत देश की अदालते सर्वोच्य न्यायलय के अधीन एवं सहयोगी के रूप में काम करती है! उनके आदेश एवं निर्देश मानने के लिए बाध्य है !
परन्तु यदि अधीनस्थ न्यायलय उनके आदेश को न माने तो सर्वोच्य न्यायलय उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्यों की उनके पास प्रशासनिक एवं दंड देने का पावर नहीं है !
मुझे देश के 40 करोड़ लोगो को तबाही से बचाने का रास्ता मालूम है परन्तु मेरे पास पर्याप्त साधनो का अभाब है !
समस्या यह भी है की यदि देश की अदालतों से अक्छ्म अयोग्य न्यायाधीशों एवं कर्मचारियों को हटाया जाये तो योग्य न्यायाधीश लाए कहा से जाये !
जो लोग अपने प्रकरणो का निराकरण समय सीमा में चाहते है तथा न्याय व्यबस्था में बदलाब चाहते है उन्हें संगठित होकर तन,मन,धन,के साथ प्रयाश एवं संघर्ष करना होगा !
मुझसे मेरे मो. 09425173019  तथा email  ; hindkrantiparty @gmail.com या whatsapp में संपर्क करे। कमलेश त्रिपाठी अध्य्क्ष हिंद् क्रान्ति पार्टी
 

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