भारत की जनता चारो तरफ से निराश होकर कृषण रूपी क्रांति करियो को पुकार रही है
महाभारत के पांडव रूपी जनप्रतिनिधि अपना ईमान ,धर्म एवं कर्तव्य व्यकितिगत स्वार्थ के लिए बेच कर सर झुकाए कायरो की तरह जनता का चीर हरण देख रहे है
एक बार फिर भारत में व्यबस्था परिवर्तन के लिए क्रांति महाभारत की तरह खडी है ! भारतीय संसद एवं राज्य विधान सभाए अन्धो की तरह मूक दर्शक का रोल अदा कर रही है
कार्यपालिका संघो एवं समूहों में विभाजित कौरवो की भाति उन्हें अपने समूहों में घमंड है जब चाहे सेवा का बहिस्कार एवं ताला बंदी करते रहते है
महाभारत के पांडव रूपी जनप्रतिनिधि अपना ईमान ,धर्म एवं कर्तव्य व्यकितिगत स्वार्थ के लिए बेच कर सर झुकाए कायरो की तरह जनता का चीर हरण देख रहे है
एक बार फिर भारत में व्यबस्था परिवर्तन के लिए क्रांति महाभारत की तरह खडी है ! भारतीय संसद एवं राज्य विधान सभाए अन्धो की तरह मूक दर्शक का रोल अदा कर रही है
कार्यपालिका संघो एवं समूहों में विभाजित कौरवो की भाति उन्हें अपने समूहों में घमंड है जब चाहे सेवा का बहिस्कार एवं ताला बंदी करते रहते है
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